बाजवा की सुरक्षा वापस लेना बदला नहीं, वे इसे जन्मसिद्ध अधिकार मान रहे : कैप्टन अमरिंदर सिंह

बाजवा की सुरक्षा वापस लेना बदला नहीं, वे इसे जन्मसिद्ध अधिकार मान रहे :

चंडीगढ़
मुख्यमंत्री बोले- पंजाब सरकार ने नियमित समीक्षा के आधार पर लिया फैसला
बाजवा की शिकायत ओछी, बादल परिवार के साथ नहीं हो सकती उनकी तुलना

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा की सुरक्षा वापस लेने पर उनके द्वारा लगाए बदले के आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि यह 2013 की राज्य की सुरक्षा नीति के अनुसार उन्हें पेश खतरे की समय-समय पर की जाने वाली समीक्षा पर आधारित साधारण प्रक्रिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार किसी भी व्यक्ति को सही मायनों में जरूरत होने पर सुरक्षा देने से इनकार नहीं करेगी लेकिन बेवजह पुलिस मुलाजिमों को व्यस्त नहीं रखा जा सकता। खासकर उस समय पर जब कोरोना महामारी के दौरान पुलिस बहुत नियंत्रण और दबाव से गुजर रही है।
कैप्टन ने कहा कि उनकी सरकार केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से किए जाने वाले खतरे के मूल्यांकन के मुताबिक पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल और उनके परिवार को सुरक्षा प्रदान कर रही है।
इस संबंध में बाजवा की शिकायत ओछी और बेमानी है और न ही यह तथ्यों पर आधारित है। बादल परिवार को अधिक खतरे के मद्देनजर गृह मंत्रालय की तरफ से दी जाने वाली जेड प्लस सुरक्षा के अलावा पंजाब पुलिस की तरफ से भी सुरक्षा मुहैया करवाई गई है। बाजवा और बादलों के मामले में कोई तुलना नहीं हो सकती। बाजवा पर किसी खतरे संबंधी कोई सूचना न होने के कारण वे पंजाब सरकार की सुरक्षा लेने के लिए श्रेणीबद्ध नहीं हैं।

बाजवा सिर्फ पद के नाते सुरक्षा लेने के हकदार: कैप्टन
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि पंजाब पुलिस की खुफिया सूचना में यह दर्शाया गया है कि प्रताप सिंह बाजवा एक सांसद के नाते केवल पद की सुरक्षा के हकदार हैं, जैसे कि मंत्रिमंडल की तरफ से साल 2013 में मंजूर प्रांतीय सुरक्षा नीति में दर्ज है। फिर भी 23 मार्च, 2020 तक कांग्रेसी सांसद की सुरक्षा में 14 जवान और ड्राइवर समेत एक एस्कॉर्ट जिप्सी शामिल थी और 23 मार्च को कोविड ड्यूटी के कारण कुछ जवानों को वापस बुला लिया गया था। 23 मार्च, 2020 के बाद बाजवा की सुरक्षा में छह सुरक्षा जवान और ड्राइवर समेत एक एस्कॉर्ट जिप्सी थी।

पूरी जेड श्रेणी सुरक्षा मिलने के बाद हटाई पुलिस
कैप्टन ने कहा कि 19 मार्च, 2020 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बाजवा को सीआईएसएफ की सुरक्षा के अधीन जेड श्रेणी सुरक्षा देने का फैसला किया। कोविड के कारण शुरुआत में सीआईएसएफ ने थोड़ी संख्या में जवानों को तैनात किया लेकिन इस हफ्ते पीएसओ, हाउस प्रोटेक्शन गार्ड और एस्कॉर्ट समेत पूरी संख्या बाजवा की सुरक्षा में तैनात हो गई। इसके साथ ही जेड श्रेणी के नियमों के अंतर्गत बाजवा की सुरक्षा के लिए 25 जवान, 2 एस्कॉर्ट ड्राइवर और स्कॉर्पियो वाहन शामिल हैं। सीआईएसएफ सुरक्षा की पूरी तैनाती ने पुलिस की तरफ से मौजूदा स्थिति के अनुसार नए सिरे से समीक्षा को जरूरी बना दिया था, जिसके बाद सांसद की राज्य स्तरीय सुरक्षा वापस ली गई।

बाजवा पर उपकार नहीं कर सकती सरकार
कैप्टन ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार इस मामले में बाजवा पर उपकार करने की स्थिति में नहीं है क्योंकि सरहदी राज्य होने के कारण पंजाब पुलिस विभिन्न तरह की सुरक्षा और अन्य चुनौतियों, जिनमें कोविड, सरहद पार से दहशतगर्दी, हथियारों और नशों की स्मगलिंग और शराब माफिया से निपटने में पूरी तरह व्यस्त है। खासकर जब राज्य के अंदर पुलिस के करीब 1000 जवान कोरोना वायरस से प्रभावित हों।

‘सुरक्षा को जन्मसिद्ध अधिकार मान रहे हैं बाजवा’
कैप्टन ने कहा कि उनके समेत राज्य के सभी सुरक्षा रखने वालों और वीवीआईपी व्यक्तियों की सुरक्षा घटानी पड़ी है, क्योंकि कोविड ड्यूटी और जिलों की खातिर 6500 पुलिस कर्मियों को वापस लेना पड़ा। इन सबकी सुरक्षा वास्तव में घटाई गई है, न कि बाजवा की तरह जिनके पास वास्तव में अब पहले की अपेक्षा सुरक्षा की बड़ी टीम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि बाजवा की तरफ से सुरक्षा को आत्मसम्मान और जन्मसिद्ध अधिकार के तौर पर देखा जा रहा है, जो निश्चित तौर पर नहीं है।

 

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